दिल्ली के करोलबाग इलाके में एक पुरानी सी बिल्डिंग की तीसरी मंज़िल पर,
आरव शर्मा अपनी पत्नी अनन्या के साथ किराए के छोटे से फ्लैट में रहता था।
फ्लैट बस दो कमरों का था—एक हॉल और एक बेडरूम। दीवारों की पपड़ी उतर रही थी, छत पर पंखा कभी तेज़ तो कभी धीमा घूमता। रसोई में गैस का छोटा सा सिलेंडर रखा था, और खिड़की से बाहर झांकने पर सिर्फ़ गली की शोरगुल भरी ज़िंदगी दिखती।
आरव तीस की उम्र का एक सीधा-सादा इंसान था। इंजीनियरिंग पढ़ा था, लेकिन किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। बड़ी कंपनियों में नौकरी पाने का सपना अधूरा रह गया और अब वह एक प्राइवेट अकाउंटेंट की नौकरी कर रहा था। महीने की तनख्वाह बस 20,000 रुपये।
पत्नी की नाराज़गी
शाम को अनन्या ऑफिस से लौटी। वह एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थी और उसकी तनख्वाह आरव से ज़्यादा थी। दरवाज़ा खोलते ही उसने पर्स सोफे पर फेंका और थकान से बोली—
"आरव, कब तक ऐसे चलेगा? मैं अकेली कितना बोझ उठाऊँ?"
आरव चुपचाप उसकी बातें सुनता रहा।
"तुम्हें पता है न, मकान मालिक ने फिर किराए की धमकी दी है। और बिजली का बिल भी जमा नहीं हुआ। मेरी तनख्वाह से कितना ही हो पाएगा?"
आरव के गले से शब्द नहीं निकले। वह जानता था कि अनन्या की शिकायतें जायज़ थीं। लेकिन क्या करे? किस्मत ने जैसे उसके हाथ बाँध रखे थे।
समाज की ताने
गली के लोग अक्सर उसे "घर जमाई" कहकर चिढ़ाते थे।
पड़ोस का शर्मा अंकल हंसते हुए कहते—
"तुम्हारी बीवी तुमसे ज़्यादा कमाती है, बेटा। असली मर्द तो वही है जो घर चलाए।"
आरव बस फीकी मुस्कान दे देता। अंदर से वह टूट जाता था।
वह रात...
उस रात अनन्या सो गई, मगर आरव छत पर जाकर आसमान देखने लगा। ठंडी हवा चल रही थी और चांदनी बिखरी थी। उसके दिल से एक आह निकली—
"हे भगवान, क्या मेरी ज़िंदगी ऐसे ही बीतेगी? मैं अपनी बीवी के लिए कुछ नहीं कर पाऊँगा? मैं बस नाकाम पति बनकर रह जाऊँगा?"
अचानक... उसके पुराने स्मार्टफोन की स्क्रीन चमकने लगी।
फोन उसने जेब में रखा था, लेकिन अचानक उसमें एक नीली रोशनी फैल गई।
सिस्टम का आगमन
मोबाइल स्क्रीन पर लिखा था:
> [सर्वशक्तिमान पति प्रणाली सक्रिय की जा रही है...]
होस्ट: आरव शर्मा
प्राथमिक लक्ष्य: पत्नी की इच्छाओं और सपनों को पूरा करना।
इनाम: शक्ति, धन, ज्ञान और सम्मान।
आरव घबरा गया। उसने फोन को झटका दिया, लेकिन स्क्रीन चमकती रही।
तभी एक ठंडी, मशीन जैसी आवाज़ उसके दिमाग में गूँजी—
> "आरव शर्मा, अब तुम्हारी किस्मत बदलने वाली है। तुम अब साधारण पति नहीं, बल्कि सर्वशक्तिमान पति प्रणाली के चुने हुए हो।"
आरव हक्का-बक्का रह गया।
"क...कौन? ये सब क्या है? मैं कोई गेम खेल रहा हूँ क्या?"
आवाज़ बोली—
> "यह खेल नहीं, हकीकत है। तुम्हारी पत्नी की हर इच्छा पूरी करना अब तुम्हारा धर्म और तुम्हारी शक्ति होगी। हर इच्छा पूरी करने पर तुम्हें अपार इनाम मिलेगा। असफल हुए... तो दंड भी मिलेगा।"
आरव का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
"मतलब... अगर मैंने अनन्या को खुश किया, तो मुझे इनाम मिलेगा?"
> "हाँ। और पहला मिशन अभी शुरू हो रहा है।"
पहला मिशन
स्क्रीन पर एक लाइन चमकी—
> [मिशन 1: पत्नी के चेहरे पर आज मुस्कान लाना। समय सीमा: 24 घंटे]
इनाम: 10,000 रुपये नकद + आत्मविश्वास स्तर 1
आरव ने स्क्रीन को घूरा।
"दस हज़ार रुपये... नकद? और... आत्मविश्वास स्तर 1? यह... यह तो सच हो सकता है?"
उसका दिल पहली बार उम्मीद से भर गया।
वह छत से नीचे उतरा, अनन्या को सोते हुए देखा।
उसके चेहरे पर थकान और चिंता की लकीरें साफ़ दिख रही थीं।
आरव ने धीरे से उसके माथे को छुआ और फुसफुसाया—
"अनन्या, अब तुम्हें कभी शिकायत करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। अब तुम्हारा पति साधारण नहीं रहेगा... अब मैं सर्वशक्तिमान पति बनूँगा।"
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📌 [अध्याय 1 समाप्त]
👉 अगले अध्याय में:
आरव को सिस्टम का पहला इनाम कैसे मिलता है? वह अपनी पत्नी को मुस्कुराने के लिए क्या करेगा?
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